क्षायोपशमिक अज्ञान: Difference between revisions
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<span class="GRef">पंचाध्यायी / उत्तरार्ध श्लोक 1021</span> <p class="SanskritText">त्रिषु ज्ञानेषु चैतेषु यत्स्यादज्ञानमर्थतः। क्षायोपशमिकं तत्स्यान्न स्यादौदयिकं क्वचित्। </p> | |||
<p class="HindiText">= इन तीन ज्ञानों में जो वास्तव में अज्ञान है अर्थात् ज्ञान में विशेषता होते हुए भी यदि वह सम्यग्दर्शन सहित नहीं तो उसे वास्तव में अज्ञान कहते हैं। वह '''अज्ञान क्षायोपशमिक''' भाव है। कहीं भी औदयिक नहीं कहा जा सकता।</p> | |||
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Latest revision as of 14:40, 13 April 2023
पंचाध्यायी / उत्तरार्ध श्लोक 1021
त्रिषु ज्ञानेषु चैतेषु यत्स्यादज्ञानमर्थतः। क्षायोपशमिकं तत्स्यान्न स्यादौदयिकं क्वचित्।
= इन तीन ज्ञानों में जो वास्तव में अज्ञान है अर्थात् ज्ञान में विशेषता होते हुए भी यदि वह सम्यग्दर्शन सहित नहीं तो उसे वास्तव में अज्ञान कहते हैं। वह अज्ञान क्षायोपशमिक भाव है। कहीं भी औदयिक नहीं कहा जा सकता।
देखें अज्ञान ।