चंद्रर्षि महत्तर: Difference between revisions
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श्वेतांबरीय प्राकृत पंचसंग्रह–
श्वेतांबर आम्नाय का प्राकृत गाथाबद्ध यह ग्रंथ भी दिगंबरीय की भाँति 5 अधिकारों में विभक्त है। उनके नाम तथा विषय भी लगभग वही हैं। गाथा संख्या 1005 है। इसके रचयिता चंद्रर्षि महत्तर माने गए हैं, जिन्होंने इस पर स्वयं 8000 श्लोक प्रमाण ‘स्वोपज्ञ’ टीका लिखी है। इसके अतिरिक्त आचार्य मलयगिरि (वि.श.12) कृत एक संस्कृत टीका भी उपलब्ध है। मूल ग्रंथ को आचार्य ने महान या यथार्थ कहा है ।351।
देखें परिशिष्ट - 2।