उपसंयत: Difference between revisions
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</span>= <span class="HindiText">शुभ परिणामों में हर्ष होना इच्छाकार है। अतिचार होनेरूप अशुभ परिणामों में मिथ्या शब्द कहना मिथ्याकार है। सूत्र के अर्थ सुनने में 'तथेति' कहना तथाकार है। रहने की जगह से पूछकर निकलना आसिका है। स्थान प्रवेश में पूछकर प्रवेश करना निषेधिका है। पठनादि कार्यों में गुरु आदिकों से प्रश्न करना आपृच्छा है। साधर्मी अथवा गुरु आदि से पहले दिये हुए उपकरणों को पूछकर ग्रहण करना प्रतिपृच्छा है। उपकरणों को देने वाले के अभिप्राय के अनुकूल रखना सो छंदन है। तथा अगृहीत द्रव्य की याचना करना निमंत्रणा है। और गुरुकुल में 'मैं आपका हूँ' ऐसा कहकर आचरण करना वह '''उपसंयत''' है।</span></p> | </span>= <span class="HindiText">शुभ परिणामों में हर्ष होना इच्छाकार है। अतिचार होनेरूप अशुभ परिणामों में मिथ्या शब्द कहना मिथ्याकार है। सूत्र के अर्थ सुनने में 'तथेति' कहना तथाकार है। रहने की जगह से पूछकर निकलना आसिका है। स्थान प्रवेश में पूछकर प्रवेश करना निषेधिका है। पठनादि कार्यों में गुरु आदिकों से प्रश्न करना आपृच्छा है। साधर्मी अथवा गुरु आदि से पहले दिये हुए उपकरणों को पूछकर ग्रहण करना प्रतिपृच्छा है। उपकरणों को देने वाले के अभिप्राय के अनुकूल रखना सो छंदन है। तथा अगृहीत द्रव्य की याचना करना निमंत्रणा है। और गुरुकुल में 'मैं आपका हूँ' ऐसा कहकर आचरण करना वह '''उपसंयत''' है।</span></p> | ||
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Latest revision as of 10:03, 29 June 2023
मूलाचार/126-128 इट्ठे इच्छाकारो मिच्छाकारो, तहेव अवराधे। पुडिसुणणह्मि तहत्ति य णिग्गमणे आसिया भणिया।126। पविसंते अ णिसीही आपुच्छणिया सकज्जाआरंभे। साधम्मिणा य गुरुणा पुव्वणिसिट्ठह्मि पडिपुच्छा।127। छंदण गहिदे दव्वे अगिहदव्वे णिमंतणा भणिदा। तुह्ममहत्ति गुरुकुले आदिणिसग्गो दु उवसंपा।128। = शुभ परिणामों में हर्ष होना इच्छाकार है। अतिचार होनेरूप अशुभ परिणामों में मिथ्या शब्द कहना मिथ्याकार है। सूत्र के अर्थ सुनने में 'तथेति' कहना तथाकार है। रहने की जगह से पूछकर निकलना आसिका है। स्थान प्रवेश में पूछकर प्रवेश करना निषेधिका है। पठनादि कार्यों में गुरु आदिकों से प्रश्न करना आपृच्छा है। साधर्मी अथवा गुरु आदि से पहले दिये हुए उपकरणों को पूछकर ग्रहण करना प्रतिपृच्छा है। उपकरणों को देने वाले के अभिप्राय के अनुकूल रखना सो छंदन है। तथा अगृहीत द्रव्य की याचना करना निमंत्रणा है। और गुरुकुल में 'मैं आपका हूँ' ऐसा कहकर आचरण करना वह उपसंयत है।
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