चारित्रार्य: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
(One intermediate revision by the same user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p><span class="GRef">राजवार्तिक अध्याय 3/36/2/201/9 </span><span class="SanskritText">तद्भेदः अनुपदेशोपदेशापेक्षभेदकृतः। चारित्रमोहस्योपशमात् क्षयाच्च बाह्योपदेशानपेक्षा आत्मप्रसादादेव चारित्रपरिणामास्कांदिनः उपशांतकषायाश्चधिगतचारित्रार्याः। अंतश्चारित्रमोहक्षयोपशमसद्भावे सति बाह्योपदेशनिमित्तविरतिपरिणामा अनधिगमचारित्रार्याः।</span> | |||
<p class="HindiText">= उपरोक्त चारित्रार्य के दो भेद उपदेश व अनुपदेश की अपेक्षा किये गये हैं। जो बाह्योपदेश के बिना आत्म प्रसाद मात्र से चारित्र मोह के उपशम अथवा क्षय होने से चारित्र परिणाम को प्राप्त होते हैं, ऐसे उपशांत कषाय व क्षीण कषाय जीव अधिगत '''चारित्रार्य''' हैं। और अंतरंग चारित्र मोह के क्षयोपशम का सद्भाव होने पर बाह्योपदेश के निमित्त से विरति परिणाम को प्राप्त अनधिगम '''चारित्रार्य''' हैं।</p> | |||
<p class="HindiText">अधिक जानकारी के लिये देखें [[ आर्य ]]।</p> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 8: | Line 12: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: च]] | [[Category: च]] | ||
[[Category: चरणानुयोग]] |
Latest revision as of 09:16, 30 June 2023
राजवार्तिक अध्याय 3/36/2/201/9 तद्भेदः अनुपदेशोपदेशापेक्षभेदकृतः। चारित्रमोहस्योपशमात् क्षयाच्च बाह्योपदेशानपेक्षा आत्मप्रसादादेव चारित्रपरिणामास्कांदिनः उपशांतकषायाश्चधिगतचारित्रार्याः। अंतश्चारित्रमोहक्षयोपशमसद्भावे सति बाह्योपदेशनिमित्तविरतिपरिणामा अनधिगमचारित्रार्याः।
= उपरोक्त चारित्रार्य के दो भेद उपदेश व अनुपदेश की अपेक्षा किये गये हैं। जो बाह्योपदेश के बिना आत्म प्रसाद मात्र से चारित्र मोह के उपशम अथवा क्षय होने से चारित्र परिणाम को प्राप्त होते हैं, ऐसे उपशांत कषाय व क्षीण कषाय जीव अधिगत चारित्रार्य हैं। और अंतरंग चारित्र मोह के क्षयोपशम का सद्भाव होने पर बाह्योपदेश के निमित्त से विरति परिणाम को प्राप्त अनधिगम चारित्रार्य हैं।
अधिक जानकारी के लिये देखें आर्य ।