च्युत शरीर: Difference between revisions
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<span class="GRef"> धवला 1/1,1,1/22/3 </span><span class="PrakritText">तत्थ चुदं णाम कयलीघादेण विणा पक्कं पि फलं व कम्मोदएण ज्झीयमाणायुक्खयपदिदं। च.....।</span> =<span class="HindiText">कदलीघात मरण के बिना कर्म के उदय से झड़ने वाले आयुकर्म के क्षय से, पके हुए फल के समान, अपने आप पतित शरीर को '''च्युत शरीर''' कहते हैं। .....।</span><br /> | |||
<span class="HindiText">अधिक जानकारी के लिये देखें [[ निक्षेप#5 | निक्षेप - 5]]।</span> | |||
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Latest revision as of 15:39, 1 July 2023
धवला 1/1,1,1/22/3 तत्थ चुदं णाम कयलीघादेण विणा पक्कं पि फलं व कम्मोदएण ज्झीयमाणायुक्खयपदिदं। च.....। =कदलीघात मरण के बिना कर्म के उदय से झड़ने वाले आयुकर्म के क्षय से, पके हुए फल के समान, अपने आप पतित शरीर को च्युत शरीर कहते हैं। .....।
अधिक जानकारी के लिये देखें निक्षेप - 5।