इंद्राभिषेक: Difference between revisions
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< | <p class="HindiText"> गृहस्थ की चौतीसवीं गर्भान्वय क्रिया । <span class="GRef"> (महापुराण 38. 55-63), </span>इस क्रिया में पर्याप्तक होते ही नृत्य, गीत, वाद्यपूर्वक देवों द्वारा इंद्र का अभिषेक किया जाता है । <span class="GRef"> (महापुराण 38.195-198) </span></p> | ||
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Latest revision as of 20:24, 1 July 2023
सिद्धांतकोष से
गर्भान्वयादि 53 क्रियाओं में से एक | तप के प्रभाव से वैमानिक देवों के इंद्र रूप से उत्पाद हो जाने पर इंद्रपद पर आरूढ करने के लिए देव लोग इंद्राभिषेक करते हैं|
- अधिक जानकारी के लिए देखें संस्कार - 2.2
पुराणकोष से
गृहस्थ की चौतीसवीं गर्भान्वय क्रिया । (महापुराण 38. 55-63), इस क्रिया में पर्याप्तक होते ही नृत्य, गीत, वाद्यपूर्वक देवों द्वारा इंद्र का अभिषेक किया जाता है । (महापुराण 38.195-198)