उच्चकुल: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
mNo edit summary |
||
(6 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p>देखें [[ | <span class="GRef">(मोक्षमार्ग प्रकाशक/6/258/2)</span> <p class="HindiText">कुल की उच्चता तो धर्म साधनतैं है । जो '''उच्चकुल''' विषै उपजि हीन आचरन करै, तौ वाकौ उच्च कैसे मानिये ।.....धर्म पद्धतिविषै कुल अपेक्षा महंतपना नाहीं संभवै है ।</p> | ||
<span class="GRef">(गोम्मटसार कर्मकांड/13/9)</span><p class=" PrakritText ">उच्चं णीचं चरणं उच्चं णीचं हवे गोदं ।13।</p><p class="HindiText">= जहाँ ऊँचा आचरण होता है वहाँ उच्चगोत्र और जहाँ नीचा आचरण होता है वहाँ नीचगोत्र होता है ।</p> | |||
<p class="HindiText">-अधिक जानकारी के लिए देखें [[ वर्णव्यवस्था_निर्देश#3.1 | वर्णव्यवस्था_निर्देश- 3.1]]।</p> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ उग्रादित्याचार्य | [[ उग्रादित्याचार्य | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ उच्चगोत्र | [[ उच्चगोत्र | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: उ]] | [[Category: उ]] | ||
[[Category: चरणानुयोग]] |
Latest revision as of 12:15, 3 July 2023
(मोक्षमार्ग प्रकाशक/6/258/2)
कुल की उच्चता तो धर्म साधनतैं है । जो उच्चकुल विषै उपजि हीन आचरन करै, तौ वाकौ उच्च कैसे मानिये ।.....धर्म पद्धतिविषै कुल अपेक्षा महंतपना नाहीं संभवै है ।
(गोम्मटसार कर्मकांड/13/9)
उच्चं णीचं चरणं उच्चं णीचं हवे गोदं ।13।
= जहाँ ऊँचा आचरण होता है वहाँ उच्चगोत्र और जहाँ नीचा आचरण होता है वहाँ नीचगोत्र होता है ।
-अधिक जानकारी के लिए देखें वर्णव्यवस्था_निर्देश- 3.1।