सूतक-पातक: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
Anita jain (talk | contribs) mNo edit summary |
||
(One intermediate revision by the same user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p class="HindiText"> जन्म-मरण के समय की अशुद्धि । रजस्वला स्त्री चौथे दिन स्नान करने के पश्चात् शुद्ध मानी गयी है इसी प्रकार प्रसूति में बालक को बाहर निकालने के लिए दूसरा, तीसरा और चौथा मास शुद्ध काल बताया गया है । <span class="GRef"> महापुराण 38.70, 90-91 </span></p> | |||
</div> | </div> | ||
Line 10: | Line 10: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: स]] | [[Category: स]] | ||
[[Category: चरणानुयोग]] |
Latest revision as of 22:35, 13 July 2023
जन्म-मरण के समय की अशुद्धि । रजस्वला स्त्री चौथे दिन स्नान करने के पश्चात् शुद्ध मानी गयी है इसी प्रकार प्रसूति में बालक को बाहर निकालने के लिए दूसरा, तीसरा और चौथा मास शुद्ध काल बताया गया है । महापुराण 38.70, 90-91