द्रव्य संवर: Difference between revisions
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<span class="GRef"> द्रव्यसंग्रह/34-35 </span><span class="PrakritText">चेदणपरिणामो जो कम्मस्सासवणिरोहणे हेदू। सो भावसंवरो खलु दव्वासवरोहणे अण्णो।34। वदसमिदीगुत्तीओ धम्माणुपेहा परीसहजओ य। चारित्तं बहुभेया णायव्वा भावसंवरविसेसा।35।</span> =<span class="HindiText">आत्मा का जो परिणाम कर्म के आस्रव को रोकने में कारण है, उसको भाव संवर कहते हैं और जो द्रव्यास्रव को रोकने में कारण है '''द्रव्य संवर''' है।34। पाँच व्रत, पाँच समिति, तीन गुप्ति, दशधर्म, बारह अनुप्रेक्षा, बाईस परीषहजय तथा अनेक प्रकार का चारित्र इस तरह ये सब भाव संवर के विशेष जानने चाहिए।35।</span> | |||
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द्रव्यसंग्रह/34-35 चेदणपरिणामो जो कम्मस्सासवणिरोहणे हेदू। सो भावसंवरो खलु दव्वासवरोहणे अण्णो।34। वदसमिदीगुत्तीओ धम्माणुपेहा परीसहजओ य। चारित्तं बहुभेया णायव्वा भावसंवरविसेसा।35। =आत्मा का जो परिणाम कर्म के आस्रव को रोकने में कारण है, उसको भाव संवर कहते हैं और जो द्रव्यास्रव को रोकने में कारण है द्रव्य संवर है।34। पाँच व्रत, पाँच समिति, तीन गुप्ति, दशधर्म, बारह अनुप्रेक्षा, बाईस परीषहजय तथा अनेक प्रकार का चारित्र इस तरह ये सब भाव संवर के विशेष जानने चाहिए।35।
देखें संवर - 1।