तदुभय प्रायश्चित्त: Difference between revisions
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Latest revision as of 16:22, 8 September 2023
सर्वार्थसिद्धि/9/22/440/7 (तदुभय) संसर्गे सति विशोधनात्तदुभयम् । = आलोचना और प्रतिक्रमण इन दोनों का संसर्ग होने पर दोषों का शोधन होने से तदुभय प्रायश्चित्त है ।
अधिक जानकारी के लिये देखें प्रायश्चित्त - 1।