अर्थ पर्याय: Difference between revisions
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<span class="GRef"> प्रवचनसार / तत्त्वप्रदीपिका/87 </span><span class="SanskritText"> द्रव्याणि क्रमपरिणामेनेयतिद्रव्यैः क्रमपरिणामेनार्यंत इति वा अर्थ पर्यायाः। </span>= <span class="HindiText">जो द्रव्य को क्रम परिणाम से प्राप्त करते हैं, अथवा जो द्रव्यों के द्वारा क्रम परिणाम से प्राप्त किये जाते हैं, ऐसे '''अर्थपर्याय''' हैं। </span><br /> | |||
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<span class="HindiText"> अन्य सम्बन्धित परिभाषाएँ और अर्थ पर्याय सम्बन्धित विषय [[ स्वभाव विभाव, अर्थ व्यंजन व द्रव्य गुण पर्याय निर्देश ]]।</span> | |||
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Latest revision as of 22:15, 17 November 2023
पर्यायों के अनेक प्रकार के भेद हैं, जिनमें दो भेद हैं - अर्थ और व्यंजन पर्याय।
प्रवचनसार / तत्त्वप्रदीपिका/87 द्रव्याणि क्रमपरिणामेनेयतिद्रव्यैः क्रमपरिणामेनार्यंत इति वा अर्थ पर्यायाः। = जो द्रव्य को क्रम परिणाम से प्राप्त करते हैं, अथवा जो द्रव्यों के द्वारा क्रम परिणाम से प्राप्त किये जाते हैं, ऐसे अर्थपर्याय हैं।
वसुनंदी श्रावकाचार/25 सुहुमा अवायविसया खणरवइणो अत्थपज्जया द्रिट्ठा। वंजणपज्जायां पुण थूलागिरगोयरा चिरविवत्था। 25। = अर्थ पर्याय सूक्ष्म है, अवाय (ज्ञान) विषयक है, अतः शब्द से नहीं कही जा सकती हैं और क्षण-क्षण में बदलती हैं, किंतु व्यंजन पर्याय स्थूल है, शब्द गोचर है अर्थात् शब्द से कही जा सकती है और चिरस्थायी है। 25। ( पंचास्तिकाय / तात्पर्यवृत्ति/16/36/9 )।
अन्य सम्बन्धित परिभाषाएँ और अर्थ पर्याय सम्बन्धित विषय स्वभाव विभाव, अर्थ व्यंजन व द्रव्य गुण पर्याय निर्देश ।