अष्टसहस्त्री: Difference between revisions
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<p class="HindiText"> आ. समंतभद्र (ई. श. 2) द्वारा रचित आप्तमीमांसा अपरनाम देवागम स्तोत्र की एक वृत्ति अष्टशती नाम की आ. अकलंक भट्ट ने रची थी। उस पर ही आ. विद्यानंदि ने (ई. 775-840) 8000 श्लोक प्रमाण वृत्ति रची। यह कृति इतनी गंभीर व कठिन है कि बड़े बड़े विद्वान् भी इसे अष्टसहस्री की बजाय कष्टसहस्री कहते हैं।</p> | |||
<p>( तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा , पृष्ठ 2/364)।</p> | <p><span class="GRef">( तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा , पृष्ठ 2/364)</span>।</p> | ||
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Latest revision as of 22:16, 17 November 2023
आ. समंतभद्र (ई. श. 2) द्वारा रचित आप्तमीमांसा अपरनाम देवागम स्तोत्र की एक वृत्ति अष्टशती नाम की आ. अकलंक भट्ट ने रची थी। उस पर ही आ. विद्यानंदि ने (ई. 775-840) 8000 श्लोक प्रमाण वृत्ति रची। यह कृति इतनी गंभीर व कठिन है कि बड़े बड़े विद्वान् भी इसे अष्टसहस्री की बजाय कष्टसहस्री कहते हैं।
( तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा , पृष्ठ 2/364)।