अष्टांग निमित्तज्ञान: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(7 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p>देखें [[ | <p> <span class="GRef">1. तिलोयपण्णत्ति/4/1002,1015 </span><span class="PrakritText"> णइमित्तिका य रिद्धी णभभउमंगंसराइ वेंजणयं। लक्खणचिण्हं सउणं अट्ठवियप्पेहिं वित्थरिदं।1002। तं चिय सउणणिमित्तं चिण्हो मालो त्ति दोभेदं।1015।</span> =<span class="HindiText">नैमित्तिक ऋद्धि नभ (अंतरिक्ष), भौम, अंग, स्वर, व्यंजन, लक्षण, चिह्न (छिन्न), और स्वप्न इन आठ भेदों से विस्तृत है।1002। तहाँ स्वप्न निमित्तज्ञान के चिह्न और मालारूप से दो भेद हैं।1015। <span class="GRef">( राजवार्तिक/1/20/12/76/8; राजवार्तिक/3/36/3/202/10; धवला 9/4,1,14/गा.19/72; धवला 9/4,1,14/72/2;73/6; चारित्रसार/214/3 )</span>।</span></br> | ||
<span class="HindiText">प्रत्येक भेद एवं निमित्तज्ञान सम्बन्धित अधिक जानकारी हेतु देखें [[ निमित्तज्ञान | निमित्तज्ञान]]</span></p> | |||
<p> 2. <span class="HindiText"> इस ज्ञान के पृथक्-पृथक् अंगों की जानकारी हेतु देखें [[ ज्ञान ]] </span></p> | |||
Line 9: | Line 12: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: अ]] | [[Category: अ]] | ||
[[Category: करणानुयोग]] |
Latest revision as of 22:16, 17 November 2023
1. तिलोयपण्णत्ति/4/1002,1015 णइमित्तिका य रिद्धी णभभउमंगंसराइ वेंजणयं। लक्खणचिण्हं सउणं अट्ठवियप्पेहिं वित्थरिदं।1002। तं चिय सउणणिमित्तं चिण्हो मालो त्ति दोभेदं।1015। =नैमित्तिक ऋद्धि नभ (अंतरिक्ष), भौम, अंग, स्वर, व्यंजन, लक्षण, चिह्न (छिन्न), और स्वप्न इन आठ भेदों से विस्तृत है।1002। तहाँ स्वप्न निमित्तज्ञान के चिह्न और मालारूप से दो भेद हैं।1015। ( राजवार्तिक/1/20/12/76/8; राजवार्तिक/3/36/3/202/10; धवला 9/4,1,14/गा.19/72; धवला 9/4,1,14/72/2;73/6; चारित्रसार/214/3 )।
प्रत्येक भेद एवं निमित्तज्ञान सम्बन्धित अधिक जानकारी हेतु देखें निमित्तज्ञान
2. इस ज्ञान के पृथक्-पृथक् अंगों की जानकारी हेतु देखें ज्ञान