ऋषि पंचमी व्रत: Difference between revisions
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''उपवास संख्या'' = 65; | <p class="HindiText">''उपवास संख्या'' = 65; </p> | ||
''विधि'' = आषाढ़ शुक्ल 5 से प्रारंभ करके प्रति मास की दो-दो पंचमियों को उपवास करे; | <p class="HindiText">''विधि'' = आषाढ़ शुक्ल 5 से प्रारंभ करके प्रति मास की दो-दो पंचमियों को उपवास करे;</p> | ||
''जाप्यमंत्र'' = नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे। | <p class="HindiText">''जाप्यमंत्र'' = नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे।</p> | ||
Latest revision as of 22:16, 17 November 2023
(व्रतविधान संग्रह 106) -
कुल समय = 5 वर्ष 5 मास;
उपवास संख्या = 65;
विधि = आषाढ़ शुक्ल 5 से प्रारंभ करके प्रति मास की दो-दो पंचमियों को उपवास करे;
जाप्यमंत्र = नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे।