कलियुग: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> वर्द्धमान के निर्वाण के बाद तीन वर्ष, आठ मास, पंद्रह दिन वीत जाने पर आने वाला काल । वृषभदेव के समवसरण की दिव्य ध्वनि के अनुसार इसमें जनसमूह प्राय: हिंसोपदेशी, महारंभों में लीन, जिनशासन का निंदक, निर्ग्रंथ मुनि को देख क्रोध करने वाला, जातिमद से युक्त, भ्रष्ट और समीचीन मार्ग का विरोधी होगा । <span class="GRef"> महापुराण 41. 47, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 4.116-120 </span> | <span class="HindiText"> वर्द्धमान के निर्वाण के बाद तीन वर्ष, आठ मास, पंद्रह दिन वीत जाने पर आने वाला काल । वृषभदेव के समवसरण की दिव्य ध्वनि के अनुसार इसमें जनसमूह प्राय: हिंसोपदेशी, महारंभों में लीन, जिनशासन का निंदक, निर्ग्रंथ मुनि को देख क्रोध करने वाला, जातिमद से युक्त, भ्रष्ट और समीचीन मार्ग का विरोधी होगा । <span class="GRef"> महापुराण 41. 47, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_4#116|पद्मपुराण - 4.116-120]] </span> | ||
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वर्द्धमान के निर्वाण के बाद तीन वर्ष, आठ मास, पंद्रह दिन वीत जाने पर आने वाला काल । वृषभदेव के समवसरण की दिव्य ध्वनि के अनुसार इसमें जनसमूह प्राय: हिंसोपदेशी, महारंभों में लीन, जिनशासन का निंदक, निर्ग्रंथ मुनि को देख क्रोध करने वाला, जातिमद से युक्त, भ्रष्ट और समीचीन मार्ग का विरोधी होगा । महापुराण 41. 47, पद्मपुराण - 4.116-120