क्षायिक दान: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
(4 intermediate revisions by 4 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि/2/4/154/4 </span><span class="SanskritText">दानांतरायस्यात्यंतक्षयादनंतप्राणिगणानुग्रहकरं क्षायिकमभयदानम् । </span>=<span class="HindiText">दानांतरायकर्म के अत्यंत क्षय से अनंत प्राणियों के समुदाय का उपकार करने वाला '''क्षायिक अभयदान''' होता है। <span class="GRef">( राजवार्तिक/2/4/2/105/28 )</span></span> | |||
<span class="HindiText">देखें [[ दान#2.1 | दान 2.1 ]]।</span> | |||
<noinclude> | |||
[[ क्षायिक चारित्र | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ क्षायिक भाव | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: क्ष]] | |||
[[Category: करणानुयोग]] | |||
Latest revision as of 22:20, 17 November 2023
सर्वार्थसिद्धि/2/4/154/4 दानांतरायस्यात्यंतक्षयादनंतप्राणिगणानुग्रहकरं क्षायिकमभयदानम् । =दानांतरायकर्म के अत्यंत क्षय से अनंत प्राणियों के समुदाय का उपकार करने वाला क्षायिक अभयदान होता है। ( राजवार्तिक/2/4/2/105/28 )
देखें दान 2.1 ।