जलकाय व जलकायिक: Difference between revisions
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<p class="HindiText">जैनाम्नाय में जल को भी एकेंद्रिय जीवकाय स्वीकार किया गया है।<br /> | |||
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<span class="GRef">मूलाचार/210 </span> <span class="PrakritGatha">ओसाय हिमग महिगा हरदणु सुद्धोदगे घणुदुगे य। ते जाण आउजीवा जाणित्ता परिहरेदव्वा।210। </span>=<span class="HindiText">ओस, बर्फ, धुआँ के समान पाला, स्थूलबिंदु रूपजल, सूक्ष्मबिंदु रूप जल, चंद्रकांत मणि से उत्पन्न शुद्ध जल, झरने से उत्पन्न जल, मेघ का जल वा घनोदधिवात जल―ये सब जलकायिक जीव हैं। <span class="GRef">( पंचसंग्रह / प्राकृत/1/78 )</span>; <span class="GRef">( धवला/1/1,1,42 गाथा 150/273)</span>; <span class="GRef">( भगवती आराधना / विजयोदया टीका/608/805/17 )</span>; <span class="GRef">( तत्त्वसार/2/63 )</span>।<br /> | |||
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Latest revision as of 22:21, 17 November 2023
जैनाम्नाय में जल को भी एकेंद्रिय जीवकाय स्वीकार किया गया है।
मूलाचार/210 ओसाय हिमग महिगा हरदणु सुद्धोदगे घणुदुगे य। ते जाण आउजीवा जाणित्ता परिहरेदव्वा।210। =ओस, बर्फ, धुआँ के समान पाला, स्थूलबिंदु रूपजल, सूक्ष्मबिंदु रूप जल, चंद्रकांत मणि से उत्पन्न शुद्ध जल, झरने से उत्पन्न जल, मेघ का जल वा घनोदधिवात जल―ये सब जलकायिक जीव हैं। ( पंचसंग्रह / प्राकृत/1/78 ); ( धवला/1/1,1,42 गाथा 150/273); ( भगवती आराधना / विजयोदया टीका/608/805/17 ); ( तत्त्वसार/2/63 )।
देखें जल ।