प्रतिरूपक: Difference between revisions
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Latest revision as of 22:22, 17 November 2023
सर्वार्थसिद्धि/7/27/367/8 कृत्रिमैर्हिरण्यादिभिर्वंचनापूर्वको व्यवहारः प्रतिरूपकव्यवहारः । = बनावटी चाँदी आदि से कपटपूर्वक व्यवहार करना प्रतिरूपक व्यवहार है । ( राजवार्तिक/7/27/5/554/17 ) इसमें मायाचारी का भी दोष आता है - देखें माया - 2 ।