प्रशस्त: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(2 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
सर्वार्थसिद्धि/9/28/446/1 <span class="SanskritText"> कर्मनिर्दहनसामर्थ्यात्प्रशस्तम् । </span>= <span class="HindiText">जो (ध्यान) कर्मों को निर्दहन करने की सामर्थ्य से युक्त है, वह प्रशस्त है । ( राजवार्तिक/9/28/4/627/37 ) । </span> | <span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि/9/28/446/1 </span><span class="SanskritText"> कर्मनिर्दहनसामर्थ्यात्प्रशस्तम् । </span>= <span class="HindiText">जो (ध्यान) कर्मों को निर्दहन करने की सामर्थ्य से युक्त है, वह प्रशस्त है । <span class="GRef">( राजवार्तिक/9/28/4/627/37 )</span> । </span> | ||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 8: | Line 8: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: प]] | [[Category: प]] | ||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] |
Latest revision as of 22:27, 17 November 2023
सर्वार्थसिद्धि/9/28/446/1 कर्मनिर्दहनसामर्थ्यात्प्रशस्तम् । = जो (ध्यान) कर्मों को निर्दहन करने की सामर्थ्य से युक्त है, वह प्रशस्त है । ( राजवार्तिक/9/28/4/627/37 ) ।