भाव सिंह: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
जीवराज जी व भावसिंह दोनों सहयोगी थे। पुण्यास्रव कथाकोष की रचना करते हुए अधूरा छोड़कर ही स्वर्ग सिधार गये। शेष भाग वि. 1792 में जीवराजजी ने पूरा किया था। समय–1792 <span class="GRef">( हिंदी जैन साहित्य इतिहास इ./178 कामता)</span>। | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Latest revision as of 22:27, 17 November 2023
जीवराज जी व भावसिंह दोनों सहयोगी थे। पुण्यास्रव कथाकोष की रचना करते हुए अधूरा छोड़कर ही स्वर्ग सिधार गये। शेष भाग वि. 1792 में जीवराजजी ने पूरा किया था। समय–1792 ( हिंदी जैन साहित्य इतिहास इ./178 कामता)।