वसुनंदि: Difference between revisions
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<li> | <li> नंदिसंघ बलात्कार गण की गुर्वावली के अनुसार आप सिंहनंदिके के शिष्य तथा वीरनंदि के गुरु थे। समय - विक्रम शक सं.525-531 (ई.603-609) (देखें [[ इतिहास#7.2 | इतिहास - 7.2]])। </li> | ||
<li> | <li> नंदिसंघ के देशीयगण की गुर्वाबली के अनुसार देवेंद्राचार्य के शिष्य और सर्वचंद्र के गुरु थे। समय - वि.950-980 (ई.893-923)। - देखें [[ इतिहास#7.5 | इतिहास - 7.5 ]]</li> | ||
<li> | <li> नंदिसंघ देशीयगण के आचार्य। अपर नाम जयसेन। गुरु परंपरा-श्रीनंदि, नयनंदि (वि.1100)। नेमिचंद्र सैद्धांतिक, वसुनब्दि । कृतियें - श्रावकाचार, प्रतिष्ठासार संग्रह, मूलाचार वृत्ति, वस्तु विद्या, जिनशतक, आप्त मीमांस वृत्ति । समय - लगभग वि.1150 (ई.1068-1118)। <span class="GRef">( ती./3/223, 226 )</span>, (देखें [[ इतिहास#7.5 | इतिहास - 7.5]])। </li> | ||
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Latest revision as of 22:35, 17 November 2023
- नंदिसंघ बलात्कार गण की गुर्वावली के अनुसार आप सिंहनंदिके के शिष्य तथा वीरनंदि के गुरु थे। समय - विक्रम शक सं.525-531 (ई.603-609) (देखें इतिहास - 7.2)।
- नंदिसंघ के देशीयगण की गुर्वाबली के अनुसार देवेंद्राचार्य के शिष्य और सर्वचंद्र के गुरु थे। समय - वि.950-980 (ई.893-923)। - देखें इतिहास - 7.5
- नंदिसंघ देशीयगण के आचार्य। अपर नाम जयसेन। गुरु परंपरा-श्रीनंदि, नयनंदि (वि.1100)। नेमिचंद्र सैद्धांतिक, वसुनब्दि । कृतियें - श्रावकाचार, प्रतिष्ठासार संग्रह, मूलाचार वृत्ति, वस्तु विद्या, जिनशतक, आप्त मीमांस वृत्ति । समय - लगभग वि.1150 (ई.1068-1118)। ( ती./3/223, 226 ), (देखें इतिहास - 7.5)।