विश्वनंदि: Difference between revisions
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<span class="GRef"> महापुराण/57/ श्लोक</span><p class="HindiText">-राजगृह के राजा विश्वभूति का पुत्र था।72। चचा विशाखभूति के पुत्र विशाखनंदि द्वारा इसका धन छिन जाने पर उसके साथ युद्ध करके उसे परास्त किया। पीछे दीक्षा धारण कर ली। (75-78)। मथुरा नगरी में एक बछड़े ने धक्का देकर गिरा दिया, तब वेश्या के यहाँ बैठे हुए विशाखनंदि ने इसकी हँसी उड़ायी। निदानपूर्वक मरकर चाचा के यहाँ उत्पन्न हुआ। (79-82) | <span class="GRef"> महापुराण/57/ श्लोक</span><p class="HindiText">-राजगृह के राजा विश्वभूति का पुत्र था।72। चचा विशाखभूति के पुत्र विशाखनंदि द्वारा इसका धन छिन जाने पर उसके साथ युद्ध करके उसे परास्त किया। पीछे दीक्षा धारण कर ली। (75-78)। मथुरा नगरी में एक बछड़े ने धक्का देकर गिरा दिया, तब वेश्या के यहाँ बैठे हुए विशाखनंदि ने इसकी हँसी उड़ायी। निदानपूर्वक मरकर चाचा के यहाँ उत्पन्न हुआ। (79-82) <span class="GRef">( महापुराण/74/86-118 )</span> यह वर्द्धमान भगवान् का पूर्व का 15वाँ भव है।–देखें [[ वर्द्धमान ]]।</p> | ||
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Latest revision as of 22:35, 17 November 2023
महापुराण/57/ श्लोक
-राजगृह के राजा विश्वभूति का पुत्र था।72। चचा विशाखभूति के पुत्र विशाखनंदि द्वारा इसका धन छिन जाने पर उसके साथ युद्ध करके उसे परास्त किया। पीछे दीक्षा धारण कर ली। (75-78)। मथुरा नगरी में एक बछड़े ने धक्का देकर गिरा दिया, तब वेश्या के यहाँ बैठे हुए विशाखनंदि ने इसकी हँसी उड़ायी। निदानपूर्वक मरकर चाचा के यहाँ उत्पन्न हुआ। (79-82) ( महापुराण/74/86-118 ) यह वर्द्धमान भगवान् का पूर्व का 15वाँ भव है।–देखें वर्द्धमान ।