व्याकरण: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
(7 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
| <ol> | ||
<li> आ. पूज्यपाद | <li class="HindiText"> आ. पूज्यपाद देवनंदि (ई. श. 5) द्वारा रचित 3000 सूत्र प्रमाण संस्कृत की जैनेंद्र व्याकरण । टीकायें–पूज्यपाद कृत जैनेंद्र न्यास, प्रभाचंद्र नं. 4 कृत शब्दांभोज भास्कर, अभयनंदि कृत महावृत्ति, श्रुतकीर्ति कृत पंचवस्तु । <span class="GRef">(जैन साहित्य और इतिहास/1/387)</span> <span class="GRef">(तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा /2/230)</span> ।</li> | ||
<li> पूज्यपाद (ई. श. | <li class="HindiText"> पूज्यपाद (ई. श. 5) कृत मुग्धबोध व्याकरण । </li> | ||
<li> | <li class="HindiText"> हेमचंद्र सूरि (ई. 1088-1173) कृत प्राकृत तथा गुजराती व्याकरण । </li> | ||
<li> नयसेन (ई. | <li class="HindiText"> नयसेन (ई. 1125) कृत कन्नड़ व्याकरण । <span class="GRef">(तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा /3/265)</span> । </li> | ||
<li> श्रुतसागर (ई. | <li class="HindiText"> श्रुतसागर (ई.1481-1499) कृत प्राकृत व्याकरण । </li> | ||
<li> | <li class="HindiText"> शुभचंद्र (ई.1516-1556) कृत प्राकृत व्याकरण । </li> | ||
</ol | </ol> | ||
[[ | <ol> | ||
[[ | <li class="HindiText"> आगम ज्ञान में व्याकरण का स्थान–देखें [[ आगम#3.4.5 | आगम - 3 ]]। </li> | ||
<li class="HindiText"> वैयाकरणी लोग शब्द, समभिरूढ़ व एवंभूत नयाभासी हैं ।–देखें [[ अनेकांत#2.9 | अनेकांत - 2.9 ]]। </li> | |||
</ol> | |||
[[Category:व]] | |||
<noinclude> | |||
[[ व्यस्त्र | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ व्याख्या | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: व]] | |||
[[Category: इतिहास]] |
Latest revision as of 22:35, 17 November 2023
- आ. पूज्यपाद देवनंदि (ई. श. 5) द्वारा रचित 3000 सूत्र प्रमाण संस्कृत की जैनेंद्र व्याकरण । टीकायें–पूज्यपाद कृत जैनेंद्र न्यास, प्रभाचंद्र नं. 4 कृत शब्दांभोज भास्कर, अभयनंदि कृत महावृत्ति, श्रुतकीर्ति कृत पंचवस्तु । (जैन साहित्य और इतिहास/1/387) (तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा /2/230) ।
- पूज्यपाद (ई. श. 5) कृत मुग्धबोध व्याकरण ।
- हेमचंद्र सूरि (ई. 1088-1173) कृत प्राकृत तथा गुजराती व्याकरण ।
- नयसेन (ई. 1125) कृत कन्नड़ व्याकरण । (तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा /3/265) ।
- श्रुतसागर (ई.1481-1499) कृत प्राकृत व्याकरण ।
- शुभचंद्र (ई.1516-1556) कृत प्राकृत व्याकरण ।
- आगम ज्ञान में व्याकरण का स्थान–देखें आगम - 3 ।
- वैयाकरणी लोग शब्द, समभिरूढ़ व एवंभूत नयाभासी हैं ।–देखें अनेकांत - 2.9 ।