अतिमुक्त: Difference between revisions
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<p> इस नाम के एक मुनि । ये भिक्षा के लिए कंस के यहाँ आये थे । उसकी पत्नी जीवद्यशा ने इन्हें देवकी का ऋतुकाल संबंधी वस्त्र दिखाया था जिससे कुपित होकर इन्होंने जीवद्यशा से कहा था कि देवकी का पुत्र तेरे पति और पुत्र दोनों को मारेगा । वसुदेव और | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> इस नाम के एक मुनि । ये भिक्षा के लिए कंस के यहाँ आये थे । उसकी पत्नी जीवद्यशा ने इन्हें देवकी का ऋतुकाल संबंधी वस्त्र दिखाया था जिससे कुपित होकर इन्होंने जीवद्यशा से कहा था कि देवकी का पुत्र तेरे पति और पुत्र दोनों को मारेगा । वसुदेव और देवकी से इन्होंने भविष्यवाणी की थी कि उनके सात पुत्र होंगे जिनमें छ: निर्वाण प्राप्त करेंगे और सातवां अर्ध चक्रवर्ती होकर पृथिवी का पालन करेगा । इनका अपरनाम अतिमुक्तक था । <span class="GRef"> महापुराण 70.370-383, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_33#32|हरिवंशपुराण - 33.32-36]],[[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_33#93|हरिवंशपुराण - 33.93-94]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 14:39, 27 November 2023
इस नाम के एक मुनि । ये भिक्षा के लिए कंस के यहाँ आये थे । उसकी पत्नी जीवद्यशा ने इन्हें देवकी का ऋतुकाल संबंधी वस्त्र दिखाया था जिससे कुपित होकर इन्होंने जीवद्यशा से कहा था कि देवकी का पुत्र तेरे पति और पुत्र दोनों को मारेगा । वसुदेव और देवकी से इन्होंने भविष्यवाणी की थी कि उनके सात पुत्र होंगे जिनमें छ: निर्वाण प्राप्त करेंगे और सातवां अर्ध चक्रवर्ती होकर पृथिवी का पालन करेगा । इनका अपरनाम अतिमुक्तक था । महापुराण 70.370-383, हरिवंशपुराण - 33.32-36,हरिवंशपुराण - 33.93-94