अपात्र: Difference between revisions
From जैनकोष
Shilpa jain (talk | contribs) No edit summary |
(Imported from text file) |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
| | ||
== सिद्धांतकोष से == | == सिद्धांतकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p>1. दान योग्य अपात्र-देखें [[ पात्र ]]। 2. ज्ञान योग्य अपात्र-देखें [[ श्रोता ]]।</p> | |||
Line 15: | Line 15: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p> व्रत शील आदि से रहित, कुदृष्टिवान्, दाता एवं दत्त वस्तु को दूषित करने वाला व्यक्ति । ऐसे कुपात्र को दान देकर दाता कुमानुष योनि में जन्मता है । <span class="GRef"> महापुराण 20.141-143, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 7. 114 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> व्रत शील आदि से रहित, कुदृष्टिवान्, दाता एवं दत्त वस्तु को दूषित करने वाला व्यक्ति । ऐसे कुपात्र को दान देकर दाता कुमानुष योनि में जन्मता है । <span class="GRef"> महापुराण 20.141-143, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_7#114|हरिवंशपुराण - 7.114]] </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Latest revision as of 14:39, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
1. दान योग्य अपात्र-देखें पात्र । 2. ज्ञान योग्य अपात्र-देखें श्रोता ।
पुराणकोष से
व्रत शील आदि से रहित, कुदृष्टिवान्, दाता एवं दत्त वस्तु को दूषित करने वाला व्यक्ति । ऐसे कुपात्र को दान देकर दाता कुमानुष योनि में जन्मता है । महापुराण 20.141-143, हरिवंशपुराण - 7.114