अभिमन्यु: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> अर्जुन की दो रानियाँ थी द्रौपदी और सुभद्रा । यह सुभद्रा का पुत्र था । इनके पाँच भाई और थे वे द्रौपदी से उत्पन्न हुए थे तथा पांचाल कहलाते थे । इसने कृष्ण और जरासंध के युद्ध में गांगेय (भीष्म) का महाध्वज तोड़ डाला था और उनके सारथी और दो अश्वों को मार गिराया था । <span class="GRef"> महापुराण 72, 214, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 16.101, 179-180 </span>इसने कलिंग के तथा राजा के हाथी को मार दिया था, कर्ण का गर्व नष्ट किया था, द्रोण को जर्जरित किया था और जिन-जिन ने इससे युद्ध किया उन सबको इसने पराजित किया । अश्वत्थामा को भी इसने युद्ध में विमुख किया था । अंत में जयार्द्रकुमार द्वारा गिरा दिये जाने पर शरीर से मोह तोड़कर इसने सल्लेखना पूर्वक देह त्यागा और स्वर्ग मे देव हुआ । <span class="GRef"> पांडवपुराण 20.16-36 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> अर्जुन की दो रानियाँ थी द्रौपदी और सुभद्रा । यह सुभद्रा का पुत्र था । इनके पाँच भाई और थे वे द्रौपदी से उत्पन्न हुए थे तथा पांचाल कहलाते थे । इसने कृष्ण और जरासंध के युद्ध में गांगेय (भीष्म) का महाध्वज तोड़ डाला था और उनके सारथी और दो अश्वों को मार गिराया था । <span class="GRef"> महापुराण 72, 214, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 16.101, 179-180 </span>इसने कलिंग के तथा राजा के हाथी को मार दिया था, कर्ण का गर्व नष्ट किया था, द्रोण को जर्जरित किया था और जिन-जिन ने इससे युद्ध किया उन सबको इसने पराजित किया । अश्वत्थामा को भी इसने युद्ध में विमुख किया था । अंत में जयार्द्रकुमार द्वारा गिरा दिये जाने पर शरीर से मोह तोड़कर इसने सल्लेखना पूर्वक देह त्यागा और स्वर्ग मे देव हुआ । <span class="GRef"> पांडवपुराण 20.16-36 </span></p> | ||
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Latest revision as of 14:39, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
पांडवपुराण /पर्व/श्लो. नं.- सुभद्रा रानी से अर्जुन का पुत्र था।16/101॥ कृष्ण जरासंध युद्ध में अनेकों को मारा। 19/178॥ अंत में कौरवों के मध्य घिर जाने पर संन्यास मरण कर देवत्व प्राप्त किया। 20/26-36॥
पुराणकोष से
अर्जुन की दो रानियाँ थी द्रौपदी और सुभद्रा । यह सुभद्रा का पुत्र था । इनके पाँच भाई और थे वे द्रौपदी से उत्पन्न हुए थे तथा पांचाल कहलाते थे । इसने कृष्ण और जरासंध के युद्ध में गांगेय (भीष्म) का महाध्वज तोड़ डाला था और उनके सारथी और दो अश्वों को मार गिराया था । महापुराण 72, 214, पांडवपुराण 16.101, 179-180 इसने कलिंग के तथा राजा के हाथी को मार दिया था, कर्ण का गर्व नष्ट किया था, द्रोण को जर्जरित किया था और जिन-जिन ने इससे युद्ध किया उन सबको इसने पराजित किया । अश्वत्थामा को भी इसने युद्ध में विमुख किया था । अंत में जयार्द्रकुमार द्वारा गिरा दिये जाने पर शरीर से मोह तोड़कर इसने सल्लेखना पूर्वक देह त्यागा और स्वर्ग मे देव हुआ । पांडवपुराण 20.16-36