अमितवेग: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) अमिततेज का | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) अमिततेज का बड़ा भाई । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_34#35|हरिवंशपुराण - 34.35-35]] </span>देखें [[ अमिततेज ]]</p> | ||
<p id="2">(2) विजयार्ध के स्थालक नगर का राजा, मणिमति का पिता । विद्या-साधना में रत मणिमति को देखकर एक समय रावण इस पर आसक्त हो गया था । मणिमति को अपने अधीन करने के लिए रावण ने उसकी विद्या छीन ली थी । बारह वर्ष से साधना में रत इस कन्या ने विद्या की सिद्धि में विघ्न होता देखकर निदान किया था कि वह इसी की पुत्री होकर इसके वध का कारण बने । निदान वश आयु के अंत में मरकर वह मंदोदरी के गर्भ से उत्पन्न हुई जिसे सीता नाम से संबोधित किया गया । <span class="GRef"> महापुराण 68.13-27 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) विजयार्ध के स्थालक नगर का राजा, मणिमति का पिता । विद्या-साधना में रत मणिमति को देखकर एक समय रावण इस पर आसक्त हो गया था । मणिमति को अपने अधीन करने के लिए रावण ने उसकी विद्या छीन ली थी । बारह वर्ष से साधना में रत इस कन्या ने विद्या की सिद्धि में विघ्न होता देखकर निदान किया था कि वह इसी की पुत्री होकर इसके वध का कारण बने । निदान वश आयु के अंत में मरकर वह मंदोदरी के गर्भ से उत्पन्न हुई जिसे सीता नाम से संबोधित किया गया । <span class="GRef"> महापुराण 68.13-27 </span></p> | ||
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Latest revision as of 14:39, 27 November 2023
(1) अमिततेज का बड़ा भाई । हरिवंशपुराण - 34.35-35 देखें अमिततेज
(2) विजयार्ध के स्थालक नगर का राजा, मणिमति का पिता । विद्या-साधना में रत मणिमति को देखकर एक समय रावण इस पर आसक्त हो गया था । मणिमति को अपने अधीन करने के लिए रावण ने उसकी विद्या छीन ली थी । बारह वर्ष से साधना में रत इस कन्या ने विद्या की सिद्धि में विघ्न होता देखकर निदान किया था कि वह इसी की पुत्री होकर इसके वध का कारण बने । निदान वश आयु के अंत में मरकर वह मंदोदरी के गर्भ से उत्पन्न हुई जिसे सीता नाम से संबोधित किया गया । महापुराण 68.13-27