असिद्ध: Difference between revisions
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<p>सिद्धेतर जीव (संसारी जीव) । ये जीव तीन प्रकार के होते हैं—असंयत, संयतासंयत और संयत । इनमें असंयत जीव आरंभ के चार गुणस्थान में होते हैं, संयतासंयत पंचम गुणस्थान में और संयत छठे से चौदहवें गुणस्थान तक रहते हैं । हरिवंशपुराण 3. 72-78</p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText">सिद्धेतर जीव (संसारी जीव) । ये जीव तीन प्रकार के होते हैं—असंयत, संयतासंयत और संयत । इनमें असंयत जीव आरंभ के चार गुणस्थान में होते हैं, संयतासंयत पंचम गुणस्थान में और संयत छठे से चौदहवें गुणस्थान तक रहते हैं । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_3#72|हरिवंशपुराण - 3.72-78]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 14:40, 27 November 2023
सिद्धेतर जीव (संसारी जीव) । ये जीव तीन प्रकार के होते हैं—असंयत, संयतासंयत और संयत । इनमें असंयत जीव आरंभ के चार गुणस्थान में होते हैं, संयतासंयत पंचम गुणस्थान में और संयत छठे से चौदहवें गुणस्थान तक रहते हैं । हरिवंशपुराण - 3.72-78