अंध्रकरूढि: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> वानरवंशी राजा प्रतिचंद्र का कनिष्ठ पुत्र, किष्किंध का अनुज । इसके पिता ने किष्किंध को राज्यलक्ष्मी और इसे युवराज पद देकर निर्ग्रंथ दीक्षा धारण की थी । आदित्यपुर के राजा विद्या—मंदर की पुत्री | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> वानरवंशी राजा प्रतिचंद्र का कनिष्ठ पुत्र, किष्किंध का अनुज । इसके पिता ने किष्किंध को राज्यलक्ष्मी और इसे युवराज पद देकर निर्ग्रंथ दीक्षा धारण की थी । आदित्यपुर के राजा विद्या—मंदर की पुत्री श्रीमाला ने अपने स्वयंवर मे रथनूपुर के राजपुत्र विजयसिंह को वरमाला न पहिना कर किष्किंध के गले में माला डाली थी । श्रीमाला के लिए विजयसिंह ने युद्ध किया था किंतु इसने उसे युद्ध में मार डाला था, तथा विजयसिंह के पिता अशनिवेग द्वारा यह भी मार डाला गया था । इसका संक्षिप्त नाम अंधक था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_1#56|पद्मपुराण - 1.56-57]], [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_6#322|पद्मपुराण - 6.322-359]], [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_6#425|पद्मपुराण - 6.425-465]]</span></p> | ||
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Latest revision as of 14:40, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
वानरवंशीय राजा प्रतिचंद्र का पुत्र। - देखें इतिहास - 10.13
पुराणकोष से
वानरवंशी राजा प्रतिचंद्र का कनिष्ठ पुत्र, किष्किंध का अनुज । इसके पिता ने किष्किंध को राज्यलक्ष्मी और इसे युवराज पद देकर निर्ग्रंथ दीक्षा धारण की थी । आदित्यपुर के राजा विद्या—मंदर की पुत्री श्रीमाला ने अपने स्वयंवर मे रथनूपुर के राजपुत्र विजयसिंह को वरमाला न पहिना कर किष्किंध के गले में माला डाली थी । श्रीमाला के लिए विजयसिंह ने युद्ध किया था किंतु इसने उसे युद्ध में मार डाला था, तथा विजयसिंह के पिता अशनिवेग द्वारा यह भी मार डाला गया था । इसका संक्षिप्त नाम अंधक था । पद्मपुराण - 1.56-57, पद्मपुराण - 6.322-359, पद्मपुराण - 6.425-465