आभ्यंतर तप: Difference between revisions
From जैनकोष
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<div class="HindiText"> <p> तप के दो भेदों मे प्रथम भेद । इसके छ: भेद है—प्रायश्चित्त, विनय, वैयावृत्य, स्वाध्याय, व्युत्सर्ग और ध्यान । इनके द्वारा मन का निगमन किया जाता है । <span class="GRef"> महापुराण 20.189-203, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 64.20-28 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> तप के दो भेदों मे प्रथम भेद । इसके छ: भेद है—प्रायश्चित्त, विनय, वैयावृत्य, स्वाध्याय, व्युत्सर्ग और ध्यान । इनके द्वारा मन का निगमन किया जाता है । <span class="GRef"> महापुराण 20.189-203, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_64#20|हरिवंशपुराण - 64.20-28]] </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Latest revision as of 14:40, 27 November 2023
तप के दो भेदों मे प्रथम भेद । इसके छ: भेद है—प्रायश्चित्त, विनय, वैयावृत्य, स्वाध्याय, व्युत्सर्ग और ध्यान । इनके द्वारा मन का निगमन किया जाता है । महापुराण 20.189-203, हरिवंशपुराण - 64.20-28