आरंभत्याग: Difference between revisions
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<p> ग्यारह प्रतिमाओं मे आठवीं प्रतिमा । इसमें सभी निंद्य और अशुभ कर्मों का त्याग किया जाता है । ऐसा त्यागी समताभाव से मरकर उत्तम गति को प्राप्त होता है । <span class="GRef"> पद्मपुराण 4.47, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.65 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> ग्यारह प्रतिमाओं मे आठवीं प्रतिमा । इसमें सभी निंद्य और अशुभ कर्मों का त्याग किया जाता है । ऐसा त्यागी समताभाव से मरकर उत्तम गति को प्राप्त होता है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_4#47|पद्मपुराण - 4.47]], </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.65 </span></p> | ||
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Latest revision as of 14:40, 27 November 2023
ग्यारह प्रतिमाओं मे आठवीं प्रतिमा । इसमें सभी निंद्य और अशुभ कर्मों का त्याग किया जाता है । ऐसा त्यागी समताभाव से मरकर उत्तम गति को प्राप्त होता है । पद्मपुराण - 4.47, वीरवर्द्धमान चरित्र 18.65