इंद्रायुध: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 15: | Line 15: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) राम का सिंहरथवाही सामंत । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_58#11|पद्मपुराण - 58.11]] </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) राम का सिंहरथवाही सामंत । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_58#11|पद्मपुराण - 58.11]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) शक संवत् सात सौ पांच में उत्तर दिशा का राजा । इसी के समय में <span class="GRef"> हरिवंशपुराण </span>की रचना श्रीवर्धमानपुर के नंदराज द्वारा निर्मापित श्री पार्श्वनाथ मंदिर में आरंभ की गयी थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण </span>66. 52-53</p> | <p id="2" class="HindiText">(2) शक संवत् सात सौ पांच में उत्तर दिशा का राजा । इसी के समय में <span class="GRef"> हरिवंशपुराण </span>की रचना श्रीवर्धमानपुर के नंदराज द्वारा निर्मापित श्री पार्श्वनाथ मंदिर में आरंभ की गयी थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण </span>66. 52-53</p> | ||
</div> | </div> | ||
Latest revision as of 14:40, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
हरिवंश पुराण सर्ग 66/52-53
=उत्तर भारत का राजा था। इसके समय में ही जिनषेणाचार्य ने हरिवंश पुराण की रचना प्रारंभ की थी। तदनुसार इनका समय-श.सं.705 (वि.840) ई.750-783।
हरिवंश पुराण प्रस्तावना 5 पं. पन्नालाल
स्व. ओझा के अनुसार इंद्रायुध और चक्रायुध राठौर वंश मे थे। स्व. चिंतामणि विनायक वैद्य के अनुसार यह भंडिकुल (वर्मवंश) के थे। इनका पुत्र चक्रायुध था। इसका राज्य कन्नौज से लेकर मारवाड़ तक फैला हुआ था।
पुराणकोष से
(1) राम का सिंहरथवाही सामंत । पद्मपुराण - 58.11
(2) शक संवत् सात सौ पांच में उत्तर दिशा का राजा । इसी के समय में हरिवंशपुराण की रचना श्रीवर्धमानपुर के नंदराज द्वारा निर्मापित श्री पार्श्वनाथ मंदिर में आरंभ की गयी थी । हरिवंशपुराण 66. 52-53