कर्वट: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> पर्वतों से घिरा हुआ ग्राम । ऐसे ग्रामों की रचना तीर्थंकर आदिनाथ के समय में शिल्पियों द्वारा की गयी थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 9. 38 </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 2. 159 </span> | <span class="HindiText"> पर्वतों से घिरा हुआ ग्राम । ऐसे ग्रामों की रचना तीर्थंकर आदिनाथ के समय में शिल्पियों द्वारा की गयी थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_9#38|हरिवंशपुराण - 9.38]] </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 2. 159 </span> | ||
Latest revision as of 14:41, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
धवला 13/5,5,63/335/8 पर्वतावरूद्धं कव्वडं णाम। =पर्वतों से रूके हुए नगर का नाम कर्वट है।
महापुराण/16/175 शतान्यष्टौ च चत्वारि द्वे च स्युर्ग्रामसंख्यया। राजधान्यस्तथा द्रोणमुखकर्वटयो: क्रमात् ।175। =एक कर्वट में 200 ग्राम होते हैं।
पुराणकोष से
पर्वतों से घिरा हुआ ग्राम । ऐसे ग्रामों की रचना तीर्थंकर आदिनाथ के समय में शिल्पियों द्वारा की गयी थी । हरिवंशपुराण - 9.38 पांडवपुराण 2. 159