कुपात्र: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(6 intermediate revisions by 4 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
| | ||
== सिद्धांतकोष से == | == सिद्धांतकोष से == | ||
देखें [[ पात्र ]]। | <span class="GRef"> वसुनंदी श्रावकाचार/223 </span><span class="PrakritText">वय-तव-सीलसमग्गो सम्मत्तविवज्जियो कुपत्तं तु। 223। </span>= <span class="HindiText">जो व्रत, तप और शील से संपन्न है, किंतु सम्यग्दर्शन से रहित है, वह कुपात्र है। </span> | ||
<span class="HindiText"> देखें [[ पात्र ]]।</span> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 13: | Line 15: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
< | <span class="HindiText"> मिथ्यादर्शन, मिथ्या ज्ञान और मिथ्या चारित्र के धारक । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_7#114|हरिवंशपुराण - 7.114]] </span> | ||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ कुनाल | पूर्व पृष्ठ ]] | [[ कुनाल | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
Line 24: | Line 25: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: क]] | [[Category: क]] | ||
[[Category: चरणानुयोग]] |
Latest revision as of 14:41, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
वसुनंदी श्रावकाचार/223 वय-तव-सीलसमग्गो सम्मत्तविवज्जियो कुपत्तं तु। 223। = जो व्रत, तप और शील से संपन्न है, किंतु सम्यग्दर्शन से रहित है, वह कुपात्र है।
देखें पात्र ।
पुराणकोष से
मिथ्यादर्शन, मिथ्या ज्ञान और मिथ्या चारित्र के धारक । हरिवंशपुराण - 7.114