चित्तोसवा: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> चक्रपुर नगर के राजा चक्रध्वज और उसकी रानी मनस्विनी की पुत्री । पुरोहित-पुत्र पिंगल इसे हरकर विदग्धनगर ले गया और वहाँ रहने लगा था । वहाँ इससे नगर का राजा कुंडलमंडित भी इसे हर ले गया था । इन अपहरणों से दु:खी यह संसार से विरक्त हो गयी और अंत में यह तप करके मरी । यह स्वर्ग में देवी हुई । वहाँ से च्युत होकर सीता के रूप में जन्मी । कुंडलमंडित भी इसी के साथ गर्भ में आया था और भामंडल के रूप में जन्मा था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 26.4-18, 111-112 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> चक्रपुर नगर के राजा चक्रध्वज और उसकी रानी मनस्विनी की पुत्री । पुरोहित-पुत्र पिंगल इसे हरकर विदग्धनगर ले गया और वहाँ रहने लगा था । वहाँ इससे नगर का राजा कुंडलमंडित भी इसे हर ले गया था । इन अपहरणों से दु:खी यह संसार से विरक्त हो गयी और अंत में यह तप करके मरी । यह स्वर्ग में देवी हुई । वहाँ से च्युत होकर सीता के रूप में जन्मी । कुंडलमंडित भी इसी के साथ गर्भ में आया था और भामंडल के रूप में जन्मा था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_26#4|पद्मपुराण - 26.4-18]], 111-112 </span></p> | ||
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Latest revision as of 14:41, 27 November 2023
चक्रपुर नगर के राजा चक्रध्वज और उसकी रानी मनस्विनी की पुत्री । पुरोहित-पुत्र पिंगल इसे हरकर विदग्धनगर ले गया और वहाँ रहने लगा था । वहाँ इससे नगर का राजा कुंडलमंडित भी इसे हर ले गया था । इन अपहरणों से दु:खी यह संसार से विरक्त हो गयी और अंत में यह तप करके मरी । यह स्वर्ग में देवी हुई । वहाँ से च्युत होकर सीता के रूप में जन्मी । कुंडलमंडित भी इसी के साथ गर्भ में आया था और भामंडल के रूप में जन्मा था । पद्मपुराण - 26.4-18, 111-112