जनपद सत्य: Difference between revisions
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देखें [[ सत्य# | <p><span class="GRef"> राजवार्तिक/1/20/12/75/21 </span><span class="SanskritText">...... द्वात्रिंशज्जनपदेष्वार्यानार्यभेदेषु धर्मार्थकाममोक्षाणां प्रापकं यद्वच: तत् जनपदसत्यम् । ..... । </span>=<span class="HindiText">...... आर्य व अनार्य भेदयुक्त बत्तीस जनपदों में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रापक जो वचन वह '''जनपदसत्य''' है। ......</span></p> | ||
<span class="HindiText"> अधिक जानकारी के लिये देखें [[ सत्य#6 | सत्य - 6]] ।</span> | |||
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== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> | <div class="HindiText"> <p> दस प्रकार के सत्यों मे एक सत्य । आर्य-अनार्य सभी देशों में धर्म, अर्थ काम और मोक्ष का साधक कथन जनपद सत्य होता है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_10#104|हरिवंशपुराण - 10.104]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:10, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
राजवार्तिक/1/20/12/75/21 ...... द्वात्रिंशज्जनपदेष्वार्यानार्यभेदेषु धर्मार्थकाममोक्षाणां प्रापकं यद्वच: तत् जनपदसत्यम् । ..... । =...... आर्य व अनार्य भेदयुक्त बत्तीस जनपदों में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रापक जो वचन वह जनपदसत्य है। ......
अधिक जानकारी के लिये देखें सत्य - 6 ।
पुराणकोष से
दस प्रकार के सत्यों मे एक सत्य । आर्य-अनार्य सभी देशों में धर्म, अर्थ काम और मोक्ष का साधक कथन जनपद सत्य होता है । हरिवंशपुराण - 10.104