जयमित्र: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) विद्याधरों का एक राजा । यह सिंहरथारोही होकर राम की ओर से रावण से लड़ा था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 58.3-7 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) विद्याधरों का एक राजा । यह सिंहरथारोही होकर राम की ओर से रावण से लड़ा था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_58#3|पद्मपुराण - 58.3-7]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) प्रभापुर नगर के राजा श्रीनंदन और उसकी रानी धरणी का पुत्र । यह सप्तर्षियों में सातवां ऋषि था । मथुरा में चमरेंद्र द्वारा फैलायी गयी महामारी इसी के प्रभाव से शांत हुई थी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 92.1-14 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) प्रभापुर नगर के राजा श्रीनंदन और उसकी रानी धरणी का पुत्र । यह सप्तर्षियों में सातवां ऋषि था । मथुरा में चमरेंद्र द्वारा फैलायी गयी महामारी इसी के प्रभाव से शांत हुई थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_92#1|पद्मपुराण - 92.1-14]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:10, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
पद्मपुराण/92/श्लोक सं.
प्रभापुर नगर के राजा श्री नंदन के सात पुत्र थे‒सुरमन्यु, श्रीमन्यु, श्रीनिचय, सर्वसुंदर, जयवान्, विनयलालस, और जयमित्र। (2-3) प्रीतिंकर महाराज के केवलज्ञान के अवसर पर देवों के आगमन से प्रतिबोध को प्राप्त हुए तथा पिता सहित सातों ने दीक्षा ले ली (5-6)। उत्तम तप के कारण सातों भाई सप्तऋषि कहलाये (7)। उनके प्रभाव से ही मथुरा नगरी में चमरेंद्र यक्ष द्वारा प्रसारित महामारी रोग नष्ट हुआ था।(9)
सप्त ऋषियों में से एक–देखें सप्तऋषि ।
पुराणकोष से
(1) विद्याधरों का एक राजा । यह सिंहरथारोही होकर राम की ओर से रावण से लड़ा था । पद्मपुराण - 58.3-7
(2) प्रभापुर नगर के राजा श्रीनंदन और उसकी रानी धरणी का पुत्र । यह सप्तर्षियों में सातवां ऋषि था । मथुरा में चमरेंद्र द्वारा फैलायी गयी महामारी इसी के प्रभाव से शांत हुई थी । पद्मपुराण - 92.1-14