जयंती: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) एक मंत्र परिस्कृत विद्या । धरणेंद्र ने यह विद्या नमि और विनमि को दी थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22.70-73 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) एक मंत्र परिस्कृत विद्या । धरणेंद्र ने यह विद्या नमि और विनमि को दी थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_22#70|हरिवंशपुराण - 22.70-73]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) राजा चरम द्वारा रेवा नदी के तट पर बसायी गयी एक नगरी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 17.27 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) राजा चरम द्वारा रेवा नदी के तट पर बसायी गयी एक नगरी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_17#27|हरिवंशपुराण - 17.27]] </span></p> | ||
<p id="3">(3) विजयार्ध की दक्षिणश्रेणी की इकतीसवीं नगरी । <span class="GRef"> महापुराण 19. 50, 53 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) विजयार्ध की दक्षिणश्रेणी की इकतीसवीं नगरी । <span class="GRef"> महापुराण 19. 50, 53 </span></p> | ||
<p id="4">(4) मथुरा नगरी के राजा मधु की महादेवी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 89.50-11 </span></p> | <p id="4" class="HindiText">(4) मथुरा नगरी के राजा मधु की महादेवी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_89#50|पद्मपुराण - 89.50-11]] </span></p> | ||
<p id="5">(5) नंदीश्वर द्वीप के दक्षिण दिशा संबंधी अंजनगिरि की पश्चिम दिशा में स्थित वापी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.660 </span></p> | <p id="5" class="HindiText">(5) नंदीश्वर द्वीप के दक्षिण दिशा संबंधी अंजनगिरि की पश्चिम दिशा में स्थित वापी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#660|हरिवंशपुराण - 5.660]] </span></p> | ||
<p id="6">(6) रुचकवरगिरि के सर्वरत्न कूट की निवासिनी देवी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.726 </span></p> | <p id="6" class="HindiText">(6) रुचकवरगिरि के सर्वरत्न कूट की निवासिनी देवी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#726|हरिवंशपुराण - 5.726]] </span></p> | ||
<p id="7">(7) रुपकवरगिरि के कनककूट की निवासिनी एक दिक्कुमारी देवी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.705 </span></p> | <p id="7" class="HindiText">(7) रुपकवरगिरि के कनककूट की निवासिनी एक दिक्कुमारी देवी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#705|हरिवंशपुराण - 5.705]] </span></p> | ||
<p id="8">(8) विदेहक्षेत्र के महावप्र देश की मुख्य नगरी । <span class="GRef"> महापुराण 63. 2 11, 216, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.251,263 </span></p> | <p id="8" class="HindiText">(8) विदेहक्षेत्र के महावप्र देश की मुख्य नगरी । <span class="GRef"> महापुराण 63. 2 11, 216, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#251|हरिवंशपुराण - 5.251]],263 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:10, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
- रुचक पर्वत निवासिनी एक दिक्कुमारी देवी–देखें लोक - 5.13;
- नंदीश्वरद्वीप की पश्चिम दिशा में स्थित वापी–देखें लोक - 5.13;
- अपर विदेहस्थ महावप्र क्षेत्र की मुख्य नगरी–देखें लोक - 5.2;
- भरतक्षेत्र का एक नगर–देखें मनुष्य - 4;
- एक मंत्रविद्या–देखें विद्या ।
पुराणकोष से
(1) एक मंत्र परिस्कृत विद्या । धरणेंद्र ने यह विद्या नमि और विनमि को दी थी । हरिवंशपुराण - 22.70-73
(2) राजा चरम द्वारा रेवा नदी के तट पर बसायी गयी एक नगरी । हरिवंशपुराण - 17.27
(3) विजयार्ध की दक्षिणश्रेणी की इकतीसवीं नगरी । महापुराण 19. 50, 53
(4) मथुरा नगरी के राजा मधु की महादेवी । पद्मपुराण - 89.50-11
(5) नंदीश्वर द्वीप के दक्षिण दिशा संबंधी अंजनगिरि की पश्चिम दिशा में स्थित वापी । हरिवंशपुराण - 5.660
(6) रुचकवरगिरि के सर्वरत्न कूट की निवासिनी देवी । हरिवंशपुराण - 5.726
(7) रुपकवरगिरि के कनककूट की निवासिनी एक दिक्कुमारी देवी । हरिवंशपुराण - 5.705
(8) विदेहक्षेत्र के महावप्र देश की मुख्य नगरी । महापुराण 63. 2 11, 216, हरिवंशपुराण - 5.251,263