दर्शनक्रिया: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(One intermediate revision by the same user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
== सिद्धांतकोष से == | | ||
== सिद्धांतकोष से == | |||
देखें [[ क्रिया#3.2 | क्रिया - 3.2]]। | देखें [[ क्रिया#3.2 | क्रिया - 3.2]]। | ||
Line 12: | Line 13: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p> कर्मबंध में करणभूत एक क्रिया । इसमें जीव राग वश सुंदर रूप देखना चाहता है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58. 69 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> कर्मबंध में करणभूत एक क्रिया । इसमें जीव राग वश सुंदर रूप देखना चाहता है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_58#69|हरिवंशपुराण - 58.69]] </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Latest revision as of 15:10, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
देखें क्रिया - 3.2।
पुराणकोष से
कर्मबंध में करणभूत एक क्रिया । इसमें जीव राग वश सुंदर रूप देखना चाहता है । हरिवंशपुराण - 58.69