दशपूर्वी: Difference between revisions
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<p> दस पूर्वों के ज्ञाता मुनि । महावीर के निर्वाणोपरांत एक सौ बासठ वर्ष बाद एक सौ तेरासी वर्ष के समय में दस पूर्वों के ज्ञाता ग्यारह आचार्य हुए हैं― विशाखाचार्य, प्रोष्ठिलाचार्य, क्षत्रियाचार्य, जयाचार्य, नागसेनाचार्य, सिद्धार्थाचार्य, घृतिषेणाचार्य, विजयार्धचार्य, बुद्धिमदाचार्य, गंगदेवाचार्य और, धर्मसेनाचार्य । <span class="GRef"> महापुराण 2.140-145 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 1. 58, 60.479-481 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> दस पूर्वों के ज्ञाता मुनि । महावीर के निर्वाणोपरांत एक सौ बासठ वर्ष बाद एक सौ तेरासी वर्ष के समय में दस पूर्वों के ज्ञाता ग्यारह आचार्य हुए हैं― विशाखाचार्य, प्रोष्ठिलाचार्य, क्षत्रियाचार्य, जयाचार्य, नागसेनाचार्य, सिद्धार्थाचार्य, घृतिषेणाचार्य, विजयार्धचार्य, बुद्धिमदाचार्य, गंगदेवाचार्य और, धर्मसेनाचार्य । <span class="GRef"> महापुराण 2.140-145 </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_1#58|हरिवंशपुराण - 1.58]], 60.479-481 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:10, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
देखें श्रुतकेवली ।
पुराणकोष से
दस पूर्वों के ज्ञाता मुनि । महावीर के निर्वाणोपरांत एक सौ बासठ वर्ष बाद एक सौ तेरासी वर्ष के समय में दस पूर्वों के ज्ञाता ग्यारह आचार्य हुए हैं― विशाखाचार्य, प्रोष्ठिलाचार्य, क्षत्रियाचार्य, जयाचार्य, नागसेनाचार्य, सिद्धार्थाचार्य, घृतिषेणाचार्य, विजयार्धचार्य, बुद्धिमदाचार्य, गंगदेवाचार्य और, धर्मसेनाचार्य । महापुराण 2.140-145 हरिवंशपुराण - 1.58, 60.479-481