देशसत्य: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(4 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> दस प्रकार के सत्यों में एक सत्य । इस सत्य में गांव और नगर की रीति, राजा की नीति तथा गण और आश्रमों का उपदेश करने वाला वचन समाहित होता है । हरिवंशपुराण 10.105</p> | | ||
== सिद्धांतकोष से == | |||
<span class="GRef"> मूलाचार/309-313</span> <span class="PrakritText">जणपदसच्चं जध ओदणादि रुचिदे य सव्वभासाए। बहुजणसंमदमवि होदि जं तु लोए तहा देवी।309। .......</span> | |||
<span class="HindiText">जो सब भाषाओं से भात के नाम पृथक्-पृथक् बोले जाते हैं जैसे चोरु, कूल, भक्त आदि ये '''देशसत्य''' हैं। .....</span> | |||
<span class="HindiText">अधिक जानकारी के लिये देखें [[ सत्य#1 | सत्य - 1]]। | |||
<noinclude> | |||
[[ देशसंयत | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ देशस्कंध | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: द]] | |||
== पुराणकोष से == | |||
<div class="HindiText"> <p class="HindiText"> दस प्रकार के सत्यों में एक सत्य । इस सत्य में गांव और नगर की रीति, राजा की नीति तथा गण और आश्रमों का उपदेश करने वाला वचन समाहित होता है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_10#105|हरिवंशपुराण - 10.105]] </span></p> | |||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ | [[ देशसंयत | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ | [[ देशस्कंध | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: द]] | [[Category: द]] | ||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] |
Latest revision as of 15:11, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
मूलाचार/309-313 जणपदसच्चं जध ओदणादि रुचिदे य सव्वभासाए। बहुजणसंमदमवि होदि जं तु लोए तहा देवी।309। ....... जो सब भाषाओं से भात के नाम पृथक्-पृथक् बोले जाते हैं जैसे चोरु, कूल, भक्त आदि ये देशसत्य हैं। .....
अधिक जानकारी के लिये देखें सत्य - 1।
पुराणकोष से
दस प्रकार के सत्यों में एक सत्य । इस सत्य में गांव और नगर की रीति, राजा की नीति तथा गण और आश्रमों का उपदेश करने वाला वचन समाहित होता है । हरिवंशपुराण - 10.105