नलकूबर: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(5 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
== सिद्धांतकोष से == | | ||
== सिद्धांतकोष से == | |||
<span class="GRef"> (पद्मपुराण/12/79) </span> राजा इंद्र का एक लोकपाल जिसने रावण के साथ युद्ध किया। | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 12: | Line 13: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p> दुर्लध्यपुर नगर में राजा इंद्र द्वारा नियुक्त एक लोकपाल । रावण के आक्रमण करने पर नगर का सुरक्षा के लिए इसने विद्या के प्रभाव से सौ योजन ऊँचा और तिगुनी परिधि से युक्त वज्रशाल नाम का कोट बनाया था । इसकी स्त्री का नाम उपरंभा था । वह रावण पर मुग्ध थी । उसने अपनी सखी द्वारा रावण के पास अपना संदेश भेजा था । रावण ने उसे बुलवाकर तथा उससे-उसके ही नगर में मिलने का आश्वासन देकर उससे आशालिका विद्या प्राप्त की थी । रावण इसके मायामय कोट को हराकर सेना सहित इसके निकट गया । युद्ध में यह विभीषण द्वारा जीवित पकड़ा गया । रावण ने उपरंभा को समझाकर इससे मिला दिया । उपरंभा अत्यधिक लज्जित हुई और प्रतिबोध को प्राप्त होकर शील की रक्षा करती हुई पति में ही संतुष्ट हो गयी थी । अपनी स्त्री के व्यभिचार का प्रतिबोध न हो सकने से रावण द्वारा प्रदत्त सम्मान को प्राप्त कर यह पूर्ववत् अपनी स्त्री के साथ रहने लगा था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 12.79-87, 153 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> दुर्लध्यपुर नगर में राजा इंद्र द्वारा नियुक्त एक लोकपाल । रावण के आक्रमण करने पर नगर का सुरक्षा के लिए इसने विद्या के प्रभाव से सौ योजन ऊँचा और तिगुनी परिधि से युक्त वज्रशाल नाम का कोट बनाया था । इसकी स्त्री का नाम उपरंभा था । वह रावण पर मुग्ध थी । उसने अपनी सखी द्वारा रावण के पास अपना संदेश भेजा था । रावण ने उसे बुलवाकर तथा उससे-उसके ही नगर में मिलने का आश्वासन देकर उससे आशालिका विद्या प्राप्त की थी । रावण इसके मायामय कोट को हराकर सेना सहित इसके निकट गया । युद्ध में यह विभीषण द्वारा जीवित पकड़ा गया । रावण ने उपरंभा को समझाकर इससे मिला दिया । उपरंभा अत्यधिक लज्जित हुई और प्रतिबोध को प्राप्त होकर शील की रक्षा करती हुई पति में ही संतुष्ट हो गयी थी । अपनी स्त्री के व्यभिचार का प्रतिबोध न हो सकने से रावण द्वारा प्रदत्त सम्मान को प्राप्त कर यह पूर्ववत् अपनी स्त्री के साथ रहने लगा था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_12#79|पद्मपुराण - 12.79-87]], [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_12#153|153]] </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 23: | Line 24: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: न]] | [[Category: न]] | ||
[[Category: प्रथमानुयोग]] |
Latest revision as of 15:11, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
(पद्मपुराण/12/79) राजा इंद्र का एक लोकपाल जिसने रावण के साथ युद्ध किया।
पुराणकोष से
दुर्लध्यपुर नगर में राजा इंद्र द्वारा नियुक्त एक लोकपाल । रावण के आक्रमण करने पर नगर का सुरक्षा के लिए इसने विद्या के प्रभाव से सौ योजन ऊँचा और तिगुनी परिधि से युक्त वज्रशाल नाम का कोट बनाया था । इसकी स्त्री का नाम उपरंभा था । वह रावण पर मुग्ध थी । उसने अपनी सखी द्वारा रावण के पास अपना संदेश भेजा था । रावण ने उसे बुलवाकर तथा उससे-उसके ही नगर में मिलने का आश्वासन देकर उससे आशालिका विद्या प्राप्त की थी । रावण इसके मायामय कोट को हराकर सेना सहित इसके निकट गया । युद्ध में यह विभीषण द्वारा जीवित पकड़ा गया । रावण ने उपरंभा को समझाकर इससे मिला दिया । उपरंभा अत्यधिक लज्जित हुई और प्रतिबोध को प्राप्त होकर शील की रक्षा करती हुई पति में ही संतुष्ट हो गयी थी । अपनी स्त्री के व्यभिचार का प्रतिबोध न हो सकने से रावण द्वारा प्रदत्त सम्मान को प्राप्त कर यह पूर्ववत् अपनी स्त्री के साथ रहने लगा था । पद्मपुराण - 12.79-87, 153