निधि: Difference between revisions
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<div class="HindiText">चक्रवर्ती की नौ निधियाँ होती है । अधिक जानकारी के लिए देखें [[ शलाका पुरुष#2.9 | शलाका पुरुष - 2.9]]। | |||
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<div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) समवसरण के गोपुरों के बाहर विद्यमान शंख आदि नौ निधियाँ । <span class="GRef"> महापुराण 22.146-147 </span></p> | |||
<p id="2" class="HindiText">(2) चक्रवर्ती की नौ निधियाँ― काल, महाकाल, नस्सर्प्प, पांडुक, पद्म, माणव, पिंग, शंख और सर्वरत्न पद । जो मुनि अपना धन छोड़कर निर्मम हो जाते हैं उनकी दूर से ये निधियाँ सेवा करती है । <span class="GRef"> महापुराण 37. 73-74, 39.185, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_11#110|हरिवंशपुराण - 11.110-111]], </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 5.45, 57-58 </span></p> | |||
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Latest revision as of 15:11, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
चक्रवर्ती की नौ निधियाँ होती है । अधिक जानकारी के लिए देखें शलाका पुरुष - 2.9।
पुराणकोष से
(1) समवसरण के गोपुरों के बाहर विद्यमान शंख आदि नौ निधियाँ । महापुराण 22.146-147
(2) चक्रवर्ती की नौ निधियाँ― काल, महाकाल, नस्सर्प्प, पांडुक, पद्म, माणव, पिंग, शंख और सर्वरत्न पद । जो मुनि अपना धन छोड़कर निर्मम हो जाते हैं उनकी दूर से ये निधियाँ सेवा करती है । महापुराण 37. 73-74, 39.185, हरिवंशपुराण - 11.110-111, वीरवर्द्धमान चरित्र 5.45, 57-58