नंदीश्वरमह: Difference between revisions
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<p> नंदीश्वर द्वीप में आष्टाह्निक पर्वों गर देवों के द्वारा आयोजित जिनेंद्र-पूजा । यह कार्तिक, फाल्गुन और आषाढ़ मास के अंतिम आठ दिनों में की जाती है । देखें [[ नंदीश्वर#2 | नंदीश्वर - 2]] इन दिनों में देव भोग आदि छोड़ देते हैं । इंद्रों के साथ वे जिनेंद्र की पूजा में तत्पर रहते हैं । यह पूजन जिनेंद्र के अभिषेक पूर्वक की जाती है । ऐसी पूजा के करने वाले देवों की संपदा, चक्रवर्तियों के भोग और मुक्ति प्राप्त करते हैं । <span class="GRef"> पद्मपुराण 68. 1, 5-6, 24 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> नंदीश्वर द्वीप में आष्टाह्निक पर्वों गर देवों के द्वारा आयोजित जिनेंद्र-पूजा । यह कार्तिक, फाल्गुन और आषाढ़ मास के अंतिम आठ दिनों में की जाती है । देखें [[ नंदीश्वर#2 | नंदीश्वर - 2]] इन दिनों में देव भोग आदि छोड़ देते हैं । इंद्रों के साथ वे जिनेंद्र की पूजा में तत्पर रहते हैं । यह पूजन जिनेंद्र के अभिषेक पूर्वक की जाती है । ऐसी पूजा के करने वाले देवों की संपदा, चक्रवर्तियों के भोग और मुक्ति प्राप्त करते हैं । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_68#1|पद्मपुराण - 68.1]], 5-6, 24 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:11, 27 November 2023
नंदीश्वर द्वीप में आष्टाह्निक पर्वों गर देवों के द्वारा आयोजित जिनेंद्र-पूजा । यह कार्तिक, फाल्गुन और आषाढ़ मास के अंतिम आठ दिनों में की जाती है । देखें नंदीश्वर - 2 इन दिनों में देव भोग आदि छोड़ देते हैं । इंद्रों के साथ वे जिनेंद्र की पूजा में तत्पर रहते हैं । यह पूजन जिनेंद्र के अभिषेक पूर्वक की जाती है । ऐसी पूजा के करने वाले देवों की संपदा, चक्रवर्तियों के भोग और मुक्ति प्राप्त करते हैं । पद्मपुराण - 68.1, 5-6, 24