परिभोग: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
(6 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
< | | ||
== सिद्धांतकोष से == | |||
<span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि/7/21/361/7 </span><span class="SanskritText">परिभोगआच्छादनप्रावरणालंकारशयनासनगृहयानवाहनादि:।</span> = <span class="HindiText"> ओढना-बिछाना, अलंकार, शयन, आसन, घर, यान और वाहन आदि परिभोग कहलाते हैं।<br /> | |||
भोग संबंधित अधिक जानकारी के लिए देखें [[ भोग ]]।</span> | |||
[[परिपीडित | | <noinclude> | ||
[[ परिपीडित | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[Category:प]] | [[ परिमह | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | |||
[[Category: प]] | |||
== पुराणकोष से == | |||
<div class="HindiText"> <p class="HindiText"> आसन आदि वे वस्तुएँ जिनका बार-बार भोग किया जाता है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_58#155|हरिवंशपुराण - 58.155]] </span></p> | |||
</div> | |||
<noinclude> | |||
[[ परिपीडित | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ परिमह | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: पुराण-कोष]] | |||
[[Category: प]] | |||
[[Category: चरणानुयोग]] |
Latest revision as of 15:11, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
सर्वार्थसिद्धि/7/21/361/7 परिभोगआच्छादनप्रावरणालंकारशयनासनगृहयानवाहनादि:। = ओढना-बिछाना, अलंकार, शयन, आसन, घर, यान और वाहन आदि परिभोग कहलाते हैं।
भोग संबंधित अधिक जानकारी के लिए देखें भोग ।
पुराणकोष से
आसन आदि वे वस्तुएँ जिनका बार-बार भोग किया जाता है । हरिवंशपुराण - 58.155