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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) भरतक्षेत्र में दक्षिण का एक देश । यहाँ के राजा को भरतेश के सेनापति ने दंडरत्न द्वारा अपने अधीन किया था । इस देश के लोगों के भुजदंड बलिष्ठ थे और उन्हें हाथियों से स्नेह था । युद्ध में वे धनुष और भाला शस्त्रों का अधिक प्रयोग करते थे । <span class="GRef"> महापुराण 29.80, 95 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) भरतक्षेत्र में दक्षिण का एक देश । यहाँ के राजा को भरतेश के सेनापति ने दंडरत्न द्वारा अपने अधीन किया था । इस देश के लोगों के भुजदंड बलिष्ठ थे और उन्हें हाथियों से स्नेह था । युद्ध में वे धनुष और भाला शस्त्रों का अधिक प्रयोग करते थे । <span class="GRef"> महापुराण 29.80, 95 </span></p> | ||
<p id="2">(2) एक पर्वत । भरतेश का सेनापति इस पर्वत को पार कर सेना के साथ आगे बढ़ा था । <span class="GRef"> महापुराण 29.89 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) एक पर्वत । भरतेश का सेनापति इस पर्वत को पार कर सेना के साथ आगे बढ़ा था । <span class="GRef"> महापुराण 29.89 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
मद्रास के अंतर्गत वर्तमान केरल देश। ( महापुराण/ प्र.50/पं. पन्नालाल)।
पुराणकोष से
(1) भरतक्षेत्र में दक्षिण का एक देश । यहाँ के राजा को भरतेश के सेनापति ने दंडरत्न द्वारा अपने अधीन किया था । इस देश के लोगों के भुजदंड बलिष्ठ थे और उन्हें हाथियों से स्नेह था । युद्ध में वे धनुष और भाला शस्त्रों का अधिक प्रयोग करते थे । महापुराण 29.80, 95
(2) एक पर्वत । भरतेश का सेनापति इस पर्वत को पार कर सेना के साथ आगे बढ़ा था । महापुराण 29.89