पुरंदर: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) मंदरकुंजनगर के राजा मेरुकांत और उसकी भार्या श्रीरंभा का पुत्र । यह रथनूपुर नगर के राजा अशनिवेग की पौत्री श्रीमाला के स्वयंवर में आया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 6.359,408-409 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) मंदरकुंजनगर के राजा मेरुकांत और उसकी भार्या श्रीरंभा का पुत्र । यह रथनूपुर नगर के राजा अशनिवेग की पौत्री श्रीमाला के स्वयंवर में आया था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_6#359|पद्मपुराण - 6.359]], [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_6#408|408-409]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) विनीता नगरी के राजा सुरेंद्रमंयु और उसकी रानी कीर्तिसभा का द्वितीय पुत्र, वज्रबाहु का सहोदर । इसकी भार्या का नाम पृथिवीमती था । यह संसार से विरक्त हो गया था और अपने पुत्र कीर्तिधर को राज्य देकर क्षेमंकर मुनि से दीक्षित हो गया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 21.73-77, 140-143 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) विनीता नगरी के राजा सुरेंद्रमंयु और उसकी रानी कीर्तिसभा का द्वितीय पुत्र, वज्रबाहु का सहोदर । इसकी भार्या का नाम पृथिवीमती था । यह संसार से विरक्त हो गया था और अपने पुत्र कीर्तिधर को राज्य देकर क्षेमंकर मुनि से दीक्षित हो गया था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_21#73|पद्मपुराण - 21.73-77]], [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_21#140|140-143]] </span></p> | ||
<p id="3">(3) शक्र (इंद्र) । <span class="GRef"> महापुराण 16.177, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 2.29 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) शक्र (इंद्र) । <span class="GRef"> महापुराण 16.177, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_2#29|हरिवंशपुराण - 2.29]] </span></p> | ||
<p id="4">(4) जरासंध का पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 52.29-40 </span></p> | <p id="4" class="HindiText">(4) जरासंध का पुत्र । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_52#29|हरिवंशपुराण - 52.29-40]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
(1) मंदरकुंजनगर के राजा मेरुकांत और उसकी भार्या श्रीरंभा का पुत्र । यह रथनूपुर नगर के राजा अशनिवेग की पौत्री श्रीमाला के स्वयंवर में आया था । पद्मपुराण - 6.359, 408-409
(2) विनीता नगरी के राजा सुरेंद्रमंयु और उसकी रानी कीर्तिसभा का द्वितीय पुत्र, वज्रबाहु का सहोदर । इसकी भार्या का नाम पृथिवीमती था । यह संसार से विरक्त हो गया था और अपने पुत्र कीर्तिधर को राज्य देकर क्षेमंकर मुनि से दीक्षित हो गया था । पद्मपुराण - 21.73-77, 140-143
(3) शक्र (इंद्र) । महापुराण 16.177, हरिवंशपुराण - 2.29
(4) जरासंध का पुत्र । हरिवंशपुराण - 52.29-40