पुष्पचूल: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) भरतक्षेत्र के विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी के नित्यालोक नगर के राजा चंद्रचूल और उसकी रानी मनोहरी से उत्पन्न सात पुत्रों में पांचवां पुत्र । यह चित्रांगज, गरुड़ध्वज, गरुडवाहन और मणिचूल का अनुज तथा गगननंदन और गगनचर का अग्रज था । <span class="GRef"> महापुराण 71.249-252 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) भरतक्षेत्र के विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी के नित्यालोक नगर के राजा चंद्रचूल और उसकी रानी मनोहरी से उत्पन्न सात पुत्रों में पांचवां पुत्र । यह चित्रांगज, गरुड़ध्वज, गरुडवाहन और मणिचूल का अनुज तथा गगननंदन और गगनचर का अग्रज था । <span class="GRef"> महापुराण 71.249-252 </span></p> | ||
<p id="2">(2) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी का छप्पनवाँ नगर । अपरनाम पुष्पचूड है । <span class="GRef"> महापुराण 19.79, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22.91 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी का छप्पनवाँ नगर । अपरनाम पुष्पचूड है । <span class="GRef"> महापुराण 19.79, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_22#91|हरिवंशपुराण - 22.91]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
विजयार्ध की उत्तर श्रेणी का एक नगर। - देखें विद्याधर ।
पुराणकोष से
(1) भरतक्षेत्र के विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी के नित्यालोक नगर के राजा चंद्रचूल और उसकी रानी मनोहरी से उत्पन्न सात पुत्रों में पांचवां पुत्र । यह चित्रांगज, गरुड़ध्वज, गरुडवाहन और मणिचूल का अनुज तथा गगननंदन और गगनचर का अग्रज था । महापुराण 71.249-252
(2) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी का छप्पनवाँ नगर । अपरनाम पुष्पचूड है । महापुराण 19.79, हरिवंशपुराण - 22.91