पंचनमस्कार: Difference between revisions
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<p> अर्हत्, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु को नमस्कार सूचक मंत्र (णमोकार) । यह मंत्र समस्त पापों से मुक्त करता है । इसके प्रभाव में कई तिर्यंच मनुष्य और देव हुए हैं । इसे पंचनमस्कृति तथा पंचनमस्कारपद नाम से भी अभिहित किया गया है । <span class="GRef"> महापुराण 39.43, 70. 136-138, </span><span class="GRef"> महापुराण 6.238-242 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 21.107 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> अर्हत्, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु को नमस्कार सूचक मंत्र (णमोकार) । यह मंत्र समस्त पापों से मुक्त करता है । इसके प्रभाव में कई तिर्यंच मनुष्य और देव हुए हैं । इसे पंचनमस्कृति तथा पंचनमस्कारपद नाम से भी अभिहित किया गया है । <span class="GRef"> महापुराण 39.43, 70. 136-138, </span><span class="GRef"> महापुराण 6.238-242 </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_21#107|हरिवंशपुराण - 21.107]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
अर्हत्, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु को नमस्कार सूचक मंत्र (णमोकार) । यह मंत्र समस्त पापों से मुक्त करता है । इसके प्रभाव में कई तिर्यंच मनुष्य और देव हुए हैं । इसे पंचनमस्कृति तथा पंचनमस्कारपद नाम से भी अभिहित किया गया है । महापुराण 39.43, 70. 136-138, महापुराण 6.238-242 हरिवंशपुराण - 21.107