प्रकीर्णक तारे: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p><span class="GRef"> तिलोयपण्णत्ति/7/494 </span><span class="SanskritText"> दुविहा चररअचराओ पइण्णताराओ।</span> = <span class="HindiText">प्रकीर्णक तारे चर और अचर दो प्रकार के होते हैं। <br /> | <p><span class="GRef"> (तिलोयपण्णत्ति/7/494) </span><span class="SanskritText"> दुविहा चररअचराओ पइण्णताराओ।</span> = <span class="HindiText">प्रकीर्णक तारे चर और अचर दो प्रकार के होते हैं। <br /> | ||
</span></p> | </span></p> | ||
<ul> | <ul> | ||
<li | <li class="HindiText"> प्रकीर्णक तारों का अवस्थान व संख्या - देखें [[ ज्योतिष#2.3 | ज्योतिष - 2.3]]-4। </span></li> | ||
</ul> | </ul> | ||
Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
(तिलोयपण्णत्ति/7/494) दुविहा चररअचराओ पइण्णताराओ। = प्रकीर्णक तारे चर और अचर दो प्रकार के होते हैं।
- प्रकीर्णक तारों का अवस्थान व संख्या - देखें ज्योतिष - 2.3-4।